*मंत्र दीक्षा संग वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन*
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद् बालोतरा द्वारा मंत्र दीक्षा संग वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन किया।
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री मोहजीतकुमार जी के सान्निध्य में कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 41 बच्चों ने नमस्कार महामंत्र के सामूहिक संगान के साथ मंत्र दीक्षा ग्रहण की। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। ज्ञानशाला विद्यार्थियों द्वारा त्रिपदी वंदना कर मंगलाचरण का संगान किया गया।
मुनिश्री मोहजीत कुमार जी ने अपने प्रभावी वक्तव्य में मंत्र दीक्षा को महत्वपूर्ण उपक्रम बताते हुए बच्चों को देव,गुरु और धर्म के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी। नमस्कार मंत्र और मंत्र दीक्षा का महत्व समझाया। बच्चो में आध्यात्मिकता के भावो का जागरण किस प्रकार से हो उस पर महत्वपूर्ण प्रवचन देकर वीतराग पथ की ओर जाने की प्रेरणा दी। मुनि जयेश कुमारजी ने वीतराग अनुप्रेक्षा का प्रयोग कराते हुए फरमाया कि हर इंसान में साधारण मनुष्य से भगवान बनने की अर्हता विद्यमान होती है यह तभी सम्भव है जब बच्चों और हमारे भीतर संस्कारो का निर्माण हो। मंत्र दीक्षा और ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का महत्वपूर्ण उपक्रम है।
तेयुप अध्यक्ष संदीप ओस्तवाल ने बताया की मंत्र दीक्षा के माध्यम छोटे छोटे बच्चों में आध्यात्मिक संस्कारो के सिंचन का कार्य संभव हो सकता है । इस तरह के आयोजन से बच्चों में सुसंस्कार एवं संघ व संघपति के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा जागृत होती है।
आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री नवनीत बाफना ने किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में ज्ञानशाला प्रशिक्षकों के महत्वपूर्ण सहयोग के विशेष आभार प्रकट किया।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष धनराजजी ओस्तवाल ने मंत्र दीक्षा के कार्यक्रम की अनुमोदना करते हुए सभी माता पिता से निवेदन किया कि वे अपने बच्चों को ज्ञानशाला अवश्य भेजे। तेयुप मीडिया प्रभारी नवीन सालेचा ने बताया कि वीतराग पथ कार्यशाला में ज्ञानशाला के बच्चो द्वारा प्रेरणादाई थावचा पुत्र की नाट्य प्रस्तुति की गई जिसमे कैसे प्रेरित होकर एवं कैसे वैराग्य भाव को पुष्ट करते हुए दीक्षा ग्रहण की उसका सुन्दर तरीके से चित्रण किया। इस अवसर पर 180 बच्चें उपस्थित हुए। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनिश्री भव्यकुमारजी ने किया। इस अवसर पर तेरापंथ समाज के गणमान्य व्यक्तियो के साथ वृहद संख्या में श्रावक समाज उपस्थित हुआ।
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